
मेट्रो ट्रेल के चलने से राजधानी के विकास को मिलेगी रफ्तार
जागरण संवाददाता, रांची: पिछले दिनों नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर रांची समेत झारखंड के कई प्रमुख शहरों में मेट्रो चालू करने में मदद करने की मांग की थी। अभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी रांची में हुई क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में गृहमंत्री से राजधानी में मेट्रो की मांग की है। पिछले साल भी बताया गया कि रांची में 16 किमी का मेट्रो नेटवर्क का निर्माण प्रस्तावित है। हालांकि रांची विधायक सीपी सिंह जब नगर विकास मंत्री थे तब भी इस योजना पर काम हुआ। इसको लेकर केंद्रीय टीम आई और यहां की मिट्टी की जांच की तो पता चला कि अंदर बहुत मजबूत चट्टान है और इसे भेद पाना मुश्किल है। तब केंद्र सरकार ने इस योजना को मंजूरी नहीं दी। इसके बाद मोनो रेल चलाने की बात उठी। मुंबई में यह बोजना फेल हो गई तो रांची में भी इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब मुख्यमंत्री ने पुनः मेट्रो की मांग कर दी है।
रांची की बढ़ती आबादी व फैलाव को देखते हुए मेट्रो ट्रेल की जरूरत है। जितना जल्दी इस पर काम शुरू हो जाए, बेहतर है। क्योंकि और आबादी बढ़ेगी, मकान बनेंगे तो परेशानी और बढ़ेगी। कोलकाता में मेट्रो चलाने में 35 साल लग गए। सरकार को चाहिए कि अलग विभाग बना कर जल्द काम शुरू करें। शहरीकरण आज की जरूरत है। इसलिए इस दिशा में सरकार को कदम चढ़ाना चाहिए। महेश पोदार, पूर्व राज्यसभा सदस्य
राज्य के मुख्यमंत्री ने राजधानी रांची में मेट्रो चलाने की मांग की है। यह स्वागत योग्य है। आज रांची की परिधि लगभग 30 किलोमीटर तक फैल चुकी है और लोग दूर-दराज से काम करने के लिए रांची आ रहे है। चाहे कोर्ट कचहरी का काम हो, व्यापारिक कार्य हो, आफिस का कार्य हो, बेहतर इलाज कराना ही, सबके लिए आवागमन की सुविधा जरूरी है। मेो यहां की जरूरत बन चुकी है।
किशोर मंत्री, पूर्व अध्यक्ष झारखंड चैम्बर
राजधानी रांची में दिनों दिन चढ़ते ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए मेट्रो रेल की नितांत जरूरत है। शहर के प्रमुख चौराहों, बाज़ार क्षेत्रों और व्यस्त मागों पर प्रतिदिन घंटों तक लगने वाले जाम ने आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। आपात स्थितियों में नागरिकों को भारी कठिनाइयां होती है। सीएम की मेट्रो रेल की माग स्वागतयोग्य है। मेट्रो रेल चलने से लोगों की समस्याएं दूर होगी।
-आदित्य मल्होत्रा, महासचिव, झारखंड चैम्बर
रांची में मेट्रो रेल का परिचालन कितना कारगर होगा, यह कहना मुश्किल है। यहां फ्लाईओवर की जरूरत है। अब कई फ्लाईओवर बन गए है। ऐसे में मेट्रो के लिए जगह कहां होगी, कहना मुश्किल है। राज्य बनने के साथ सरकारों नै पहल की होती तो शहर का नक्शा दूसरा होता। हालांकि, मेट्रो से व्यवसाय तो बढ़ेगा ही। सरकार कहां से कहां तक मेट्रों चलाएगी, उसका रूट क्या होगा, इस पर निर्भर करता है।
-परेश गट्टानी, अध्यक्ष झारखंड चैम्बर
रांची में लगातार बढ़ती आबादी व वाहनों की बढ़ रही संख्या के कारण जाम से अक्सर शहरवासियों को जूझना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में अब आवश्यक है कि अन्य शहरों की भांति प्रदेश की राजधानी रांची में भी मेट्रो रेल सेवा के शुरुजात की पहल की जाए। बेहतर एवं सुगम पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था से ही रांची के ट्रैफिक समस्या से निजात मिलेगी। मेट्रो रेल इसका सुंदर एवं प्रभावी विकल्प है।
-नवजोत अलंग सह सचिव, झारखंड चैम्बर
मेट्रो ट्रेन या मोनो रेल परियोजनाओं में उच्च स्तर की तकनीक का सहारा लिया जाता है। आज जब समुद्र के अंदर विशाल पिलर खड़े किए जा सकते हैं तो झारखंड की राजधानी रांची की भौगोलिक परिस्थितियों में क्यों नहीं मेट्रो ट्रेन के लिए ट्रैक निर्माण हो सकता है। हां, यह जरूरी है कि इसके निर्माण कार्य में कोई लापरवाही न हो। पहले टोस योजना तैयार करनी होगी।
-प्रो. डा. कीर्ति अभिषेक